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"बीच गाँव से होकर... / ठाकुरप्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर
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तुझे न शायद लग पाती अपने ही मन की थाह | तुझे न शायद लग पाती अपने ही मन की थाह | ||
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किन्तु फूल जूड़े का मुस्काता है होकर पागल | किन्तु फूल जूड़े का मुस्काता है होकर पागल | ||
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आँचल किसको बुला रहा है हिला-हिलाकर बाँह ? | आँचल किसको बुला रहा है हिला-हिलाकर बाँह ? | ||
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00:36, 20 मार्च 2011 के समय का अवतरण
बीच गाँव से होकर जाने वाली लापरवाह
तुझे न शायद लग पाती अपने ही मन की थाह
किन्तु फूल जूड़े का मुस्काता है होकर पागल
आँचल किसको बुला रहा है हिला-हिलाकर बाँह ?