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"पुश्तैनी तोप / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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00:16, 29 जून 2008 का अवतरण


आप कभी हमारे यहाँ आकर देखिए

हमारा दारिद्रय कितना विभूतिमय है


एक मध्ययुगीन तोप है रखी हुई

जिसे काम में लाना बड़ा मुश्किल है

हमारी इस मिल्कियत का

पीतल हो गया है हरा, लोहा पड़ चुका है काला


घंटा भर लगता है गोला ठूँसने में

आधा पलीता लगाने में

इतना ही पोज़ीशन पर लाने में


फिर विपक्षियों पर दाग़ने के लिए

इससे ख़राब और अविश्वसनीय जनाब

हथियार भी कोई नहीं


इसे देखते ही आने लगती है

हमारे दुश्मनों को हँसी


इसे सलामी में दाग़ना भी

मुनासिब नहीं है

आख़िर मेहमान को दरवाज़े पर

कितनी देर तक खड़ा रखा जा सकता है