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{{KKGlobal}}श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भव भय दारुणम् |
कंदर्प अगणित अमित छवी छवि नव नील नीरज सुन्दरम सुन्दरम् |
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम नन्दनम् ||
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारू उदारु अंग विभूषणं विभूषणम् |
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर - दूषणं दूषणम् ||
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम रंजनम् |
मम ह्रदय कुंज हृदय कंज निवास कुरु कामादि खल दल गंजनम गंजनम् ||
मनु जाहिं जाहि राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों सावरो |
करुना निधान सुजान शील सनेह जानत रावरो ||
तुलसी भवानी पूजि पुनि पुनि मुदित मन मन्दिर चली ||