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18:41, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण
बसंत : तीन कविताएँ
1
कविता की किताब पर
रखा है पीला फूल
पढ़ने की मेज पर
रखा है पीला फूल
पीला फूल सजा है
बैठक में घर की...
घास पर बैठे हैं हम दोनों
बीच में रखा है पीला फूल।
2
कहीं नहीं आता बसन्त
वह तो आता है
हमारे दिलों में
या आता है
उन बाग़ीचों में
जिनके दरवाज़ों पर लिखा है
ये आम रास्ता नहीं है।
3
किसी रंग का नाम नहीं होता बसन्त
किसी मौसम का नाम भी नहीं होता
वह तो होता है रिश्ता
पीली सरसों का
धरती के साथ।