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"आगमन वसन्त का / येव्गेनी येव्तुशेंको" के अवतरणों में अंतर

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धूप खिली थी
 
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और रिमझिम वर्षा
 
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छत पर ढोलक-सी बज रही थी लगातार
 
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सूर्य ने फैला रखी थीं बाहें अपनी
 
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वह जीवन को आलिंगन में भर
 
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कर रहा था प्यार
 
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नव-अरुण की
 
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ऊष्मा से
 
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हिम सब पिघल गया था
 
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जमा हुआ  
 
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जीवन सारा तब
 
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जल में बदल गया था
 
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वसन्त कहार बन
 
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बहंगी लेकर
 
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हिलता-डुलता आया ऎसे
 
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दो बाल्टियों में
 
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भर लाया हो
 
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दो कम्पित सूरज जैसे
  
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'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
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19:18, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण


धूप खिली थी
और रिमझिम वर्षा
छत पर ढोलक-सी बज रही थी लगातार
सूर्य ने फैला रखी थीं बाहें अपनी
वह जीवन को आलिंगन में भर
कर रहा था प्यार

नव-अरुण की
ऊष्मा से
हिम सब पिघल गया था
जमा हुआ
जीवन सारा तब
जल में बदल गया था

वसन्त कहार बन
बहंगी लेकर
हिलता-डुलता आया ऎसे
दो बाल्टियों में
भर लाया हो
दो कम्पित सूरज जैसे


मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय