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"एक नीला आईना बेठोस / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=कुछ कविताएँ / शमशेर बहादुर सिंह
 
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एक नीला आईना
 
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बेठोस-सी यह चाँदनी
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और अंदर चल रहा हूँ मैं
 
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उसी के महातल के मौन में ।
 
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मौन में इतिहास का
 
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कन किरन जीवित, एक, बस ।
 
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एक पल की ओट में है कुल जहान ।
 
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आत्मा है
 
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अखिल की हठ-सी ।
 
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चाँदनी में घुल गए हैं
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बहुत-से तारे, बहुत कुछ
 
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घुल गया हूँ मैं
 
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बहुत कुछ अब ।
 
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रह गया-सा एक सीधा बिंब
 
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चल रहा है जो
 
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शांत इंगित-सा
 
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न जाने किधर ।
 
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23:21, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण

एक नीला आईना
बेठोस-सी यह चाँदनी
और अंदर चल रहा हूँ मैं
उसी के महातल के मौन में ।
मौन में इतिहास का
कन किरन जीवित, एक, बस ।
एक पल की ओट में है कुल जहान ।
आत्मा है
अखिल की हठ-सी ।
चाँदनी में घुल गए हैं
बहुत-से तारे, बहुत कुछ
घुल गया हूँ मैं
बहुत कुछ अब ।
रह गया-सा एक सीधा बिंब
चल रहा है जो
शांत इंगित-सा
न जाने किधर ।