भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वर्षा राग-2 / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदय प्रकाश }} {{KKCatKavita‎}} <poem> मैना डर कर फुर्र हो गई, बि...)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=उदय प्रकाश  
 
|रचनाकार=उदय प्रकाश  
 
}}
 
}}
{{KKCatKavita‎}}
+
{{KKAnthologyVarsha}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
मैना डर कर फुर्र हो गई, बिजली तड़की
 
मैना डर कर फुर्र हो गई, बिजली तड़की
पंक्ति 9: पंक्ति 10:
 
कैसी हलचल आसमान ने मचा रखी है
 
कैसी हलचल आसमान ने मचा रखी है
 
कल-परसों से नहीं किसी ने धूप चखी है
 
कल-परसों से नहीं किसी ने धूप चखी है
 +
 +
घड़ों-घड़ों पानी औटाओ, मूसलधार गिराओ
 +
लेकिन सब चुपचाप करो, चिड़ियों को नहीं डराओ!
 
</poem>
 
</poem>

18:34, 31 मार्च 2011 के समय का अवतरण

मैना डर कर फुर्र हो गई, बिजली तड़की
छींके के सपने में खोई पूसी भड़की
कैसी हलचल आसमान ने मचा रखी है
कल-परसों से नहीं किसी ने धूप चखी है

घड़ों-घड़ों पानी औटाओ, मूसलधार गिराओ
लेकिन सब चुपचाप करो, चिड़ियों को नहीं डराओ!