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"रात में वर्षा / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल | |रचनाकार=प्रयाग शुक्ल | ||
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गड़गड़ाते हुए | गड़गड़ाते हुए |
18:43, 31 मार्च 2011 के समय का अवतरण
गड़गड़ाते हुए
बादल
पेड़ तक, घर तक ।
हवा को भेजते
दर-दर ।
इधर, इस ओर
बिस्तर तक
जगा है--
चौंक कर ।
यह एक
बिजली-कौंध,
भीतर तक
उतर कर,
कहाँ जाने गई ।
ऊपर गड़गड़ाहट
गड़गड़ाहट
और कितनी !
तनी
साँसें
सुन रही हैं वृष्टि
अब भरपूर ।