भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बादल का पानी / अजय पाठक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजय पाठक }} <poem> बरस गया बादल का पानी! बिजली चमकी दू...)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=अजय पाठक  
 
|रचनाकार=अजय पाठक  
 
}}
 
}}
 +
{{KKAnthologyVarsha}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
बरस गया बादल का पानी!
 
बरस गया बादल का पानी!

19:05, 31 मार्च 2011 के समय का अवतरण

बरस गया बादल का पानी!
बिजली चमकी दूर गगन में,

कंपन होते प्राण भवन में,
तरल-तरल कर गई हृदय को,
निष्ठुर मौसम की मनमानी।
बरस गया बादल का पानी!

धुली आस कोमल अंतर की,
बही संपदा जीवन भर की,
फिर भी लेती रहीं लहरियाँ
हमसे निधियों की कुरबानी।
बरस गया बादल का पानी!

धार-धार में तेज़ लहर है,
लहरों में भी तेज़ भँवर है,
सपनों का हो गया विसर्जन,
घेरे आशंका अनजानी।
बरस गया बादल का पानी!