भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बरखा का एक दिन / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=अनातोली पारपरा |संग्रह=माँ की मीठी आवाज़ / अनातोली प...)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKAnooditRachna
 
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=अनातोली पारपरा
+
|रचनाकार=अनातोली परपरा
 
|संग्रह=माँ की मीठी आवाज़ / अनातोली परपरा
 
|संग्रह=माँ की मीठी आवाज़ / अनातोली परपरा
 
}}
 
}}
 +
{{KKAnthologyVarsha}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
[[Category:रूसी भाषा]]
 
[[Category:रूसी भाषा]]
 
+
<poem>
 
+
 
हवा बही जब बड़े ज़ोर से
 
हवा बही जब बड़े ज़ोर से
 
 
बरसी वर्षा झम-झमा-झम
 
बरसी वर्षा झम-झमा-झम
 
+
मन में उठी कुछ ऐसी झंझा
मन में उठी कुछ ऎसी झंझा
+
 
+
 
दिल थाम कर रह गए हम
 
दिल थाम कर रह गए हम
 
  
 
गरजे मेघा झूम-झूम कर
 
गरजे मेघा झूम-झूम कर
 
 
जैसे बजा रहे हों साज
 
जैसे बजा रहे हों साज
 
 
ता-ता थैया नाचे धरती
 
ता-ता थैया नाचे धरती
 
 
ख़ुशियाँ मना रही वह आज
 
ख़ुशियाँ मना रही वह आज
 
  
 
भीग रही बरखा के जल में
 
भीग रही बरखा के जल में
 
 
तेरी कोमल चंदन-काया
 
तेरी कोमल चंदन-काया
 
 
मन मेरा हुलस रहा, सजनी
 
मन मेरा हुलस रहा, सजनी
 
 
घेरे है रति की माया
 
घेरे है रति की माया
 +
</poem>

19:08, 31 मार्च 2011 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अनातोली परपरा  » संग्रह: माँ की मीठी आवाज़
»  बरखा का एक दिन

हवा बही जब बड़े ज़ोर से
बरसी वर्षा झम-झमा-झम
मन में उठी कुछ ऐसी झंझा
दिल थाम कर रह गए हम

गरजे मेघा झूम-झूम कर
जैसे बजा रहे हों साज
ता-ता थैया नाचे धरती
ख़ुशियाँ मना रही वह आज

भीग रही बरखा के जल में
तेरी कोमल चंदन-काया
मन मेरा हुलस रहा, सजनी
घेरे है रति की माया