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"एक पल में एक सदी का मज़ा / ख़ुमार बाराबंकवी" के अवतरणों में अंतर

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अंजाम-ए-आशिकी का मज़ा हमसे पूछिए
 
अंजाम-ए-आशिकी का मज़ा हमसे पूछिए
  
जलते दियो में जलते घरो जैसी ज़ौ कहा
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जलते दियो में जलते घरो जैसी लौ कहा
 
सरकार रोशनी का मज़ा हमसे पूछिए
 
सरकार रोशनी का मज़ा हमसे पूछिए
  

19:22, 31 मार्च 2011 का अवतरण

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एक पल में एक सदी का मज़ा हमसे पूछिए
दो दिन की ज़िन्दगी का मज़ा हमसे पूछिए

भूले है रफ़्ता-रफ़्ता उन्हे मुद्दतो में हम
किश्तो में ख़ुदकुशी का मज़ा हमसे पूछिए
 
आग़ाज़-ए-आशिकी का मज़ा आप जानिए
अंजाम-ए-आशिकी का मज़ा हमसे पूछिए

जलते दियो में जलते घरो जैसी लौ कहा
सरकार रोशनी का मज़ा हमसे पूछिए

वो जान ही गये कि हमे उनसे प्यार है
आँखो की मुखबिरी का मज़ा हमसे पूछिए

हँसने का शौक हमको भी था आपकी तरह