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"मुझे आई ना जग से लाज / क़तील" के अवतरणों में अंतर

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मुझे आई ना जग से लाज
 
मुझे आई ना जग से लाज
मैं इतना ज़ोर से नाची आज, की घुंघरू टूट गए
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मैं इतना ज़ोर से नाची आज,
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के घुंघरू टूट गए
  
 
कुछ मुझ पे नया जोबन भी था
 
कुछ मुझ पे नया जोबन भी था
 
कुछ प्यार का पागलपन भी था
 
कुछ प्यार का पागलपन भी था
एक पलक मेरी तीर बनी
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कभी पलक पलक  मेरी तीर बनी
 
एक जुल्फ मेरी ज़ंजीर बनी
 
एक जुल्फ मेरी ज़ंजीर बनी
 
लिया दिल साजन का जीत
 
लिया दिल साजन का जीत
लिया दिल साजन का जीत
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वो छेड़े पायलिया ने गीत,
वो छेड़े पायलिया ने गीत
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के घुंघरू टूट गए
  
 
मैं बसी थी जिसके सपनों में
 
मैं बसी थी जिसके सपनों में
 
वो गिनेगा अब मुझे अपनों में
 
वो गिनेगा अब मुझे अपनों में
कहती है मेरी हर अंगडाई
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कहती है मेरी हर अंगड़ाई
 
मैं पिया की नींद चुरा लायी
 
मैं पिया की नींद चुरा लायी
 
मैं बन के गई थी चोर
 
मैं बन के गई थी चोर
की मेरी पायल थी कमज़ोर
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मगर मेरी पायल थी कमज़ोर,
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के घुंघरू टूट गए
  
 
धरती पे ना मेरे पैर लगे
 
धरती पे ना मेरे पैर लगे
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जब मिला पिया का गाँव
 
जब मिला पिया का गाँव
 
तो ऐसा लचका मेरा पांव
 
तो ऐसा लचका मेरा पांव
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के घुंघरू टूट गए
 
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19:53, 31 मार्च 2011 का अवतरण

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मुझे आई ना जग से लाज
मैं इतना ज़ोर से नाची आज,
के घुंघरू टूट गए

कुछ मुझ पे नया जोबन भी था
कुछ प्यार का पागलपन भी था
कभी पलक पलक मेरी तीर बनी
एक जुल्फ मेरी ज़ंजीर बनी
लिया दिल साजन का जीत
वो छेड़े पायलिया ने गीत,
के घुंघरू टूट गए

मैं बसी थी जिसके सपनों में
वो गिनेगा अब मुझे अपनों में
कहती है मेरी हर अंगड़ाई
मैं पिया की नींद चुरा लायी
मैं बन के गई थी चोर
मगर मेरी पायल थी कमज़ोर,
के घुंघरू टूट गए

धरती पे ना मेरे पैर लगे
बिन पिया मुझे सब गैर लगे
मुझे अंग मिले अरमानों के
मुझे पंख मिले परवानों के
जब मिला पिया का गाँव
तो ऐसा लचका मेरा पांव
के घुंघरू टूट गए