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"होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है / इरफ़ान सिद्दीकी" के अवतरणों में अंतर

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होशियारी  दिल-ए-नादान  बहुत  करता  है  
 
होशियारी  दिल-ए-नादान  बहुत  करता  है  
दर्द  कम  सहता  है  एलान  बहुत  करता  है  
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रंज कम  सहता  है  एलान  बहुत  करता  है  
  
रात  को  जीत  तो  सकता नहीं  लेकिन  ये  चराग  
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रात  को  जीत  तो  पाता नहीं  लेकिन  ये  चराग  
 
कम  से  कम  रात  का  नुकसान  बहुत  करता  है  
 
कम  से  कम  रात  का  नुकसान  बहुत  करता  है  
  

20:28, 31 मार्च 2011 का अवतरण

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होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है
रंज कम सहता है एलान बहुत करता है

रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग
कम से कम रात का नुकसान बहुत करता है

आज कल अपना सफर तय नहीं करता कोई
हाँ सफर का सर-ओ-सामान बहुत करता है

अब ज़बाँ खंज़र-ए-कातिल की सना करती है
हम वो ही करते है जो खल्त-ए-खुदा करती है


हूँ का आलम है गिराफ्तारों की आबादी में
हम तो सुनते थे की ज़ंज़ीर सदा करती है