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"हाथ दिया उसने मेरे हाथ में / क़तील" के अवतरणों में अंतर
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हाथ दिया उसने मेरे हाथ में। | हाथ दिया उसने मेरे हाथ में। | ||
− | मैं तो वली बन गया | + | मैं तो वली बन गया एक रात मे॥ |
इश्क़ करोगे तो कमाओगे नाम | इश्क़ करोगे तो कमाओगे नाम | ||
तोहमतें बटती नहीं खैरात में॥ | तोहमतें बटती नहीं खैरात में॥ | ||
− | इश्क़ बुरी शै सही पर दोस्तो। | + | इश्क़ बुरी शै सही, पर दोस्तो। |
− | दख्ल न दो तुम मेरी हर बात में॥ | + | दख्ल न दो तुम, मेरी हर बात में॥ |
− | हाथ में कागज़ | + | हाथ में कागज़ की लिए छतरियाँ |
− | घर से | + | घर से ना निकला करो बरसात में॥ |
रत बढ़ाया उसने न 'क़तील' इसलिए | रत बढ़ाया उसने न 'क़तील' इसलिए | ||
− | फर्क था | + | फर्क था दोनों के खयालात में॥ |
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20:35, 31 मार्च 2011 का अवतरण
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हाथ दिया उसने मेरे हाथ में।
मैं तो वली बन गया एक रात मे॥
इश्क़ करोगे तो कमाओगे नाम
तोहमतें बटती नहीं खैरात में॥
इश्क़ बुरी शै सही, पर दोस्तो।
दख्ल न दो तुम, मेरी हर बात में॥
हाथ में कागज़ की लिए छतरियाँ
घर से ना निकला करो बरसात में॥
रत बढ़ाया उसने न 'क़तील' इसलिए
फर्क था दोनों के खयालात में॥