भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=कविताएँ पास्तरनाक की / बरीस पास्तेरनाक
}}
{{KKCatKavitaKKAnthologyShishir}}{{KKCatKavita}}
<Poem>
मैंने अपने परिवार को बिखर जाने दिया