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"अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी" के अवतरणों में अंतर
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ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते | ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते | ||
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− | आँखें मुझे | + | आँखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते |
अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते | अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते | ||
14:53, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते
सच है कि हम ही दिल को संभलने नहीं देते
आँखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते
अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते
किस नाज़ से कहते हैं वो झुंझला के शब-ए-वस्ल<ref>मिलन की रात</ref>
तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते
परवानों ने फ़ानूस को देखा तो ये बोले
क्यों हम को जलाते हो कि जलने नहीं देते
हैरान हूँ किस तरह करूँ अर्ज़-ए-तमन्ना
दुश्मन को तो पहलू से वो टलने नहीं देते
दिल वो है कि फ़रियाद से लबरेज़<ref>भरा हुआ</ref> है हर वक़्त
हम वो हैं कि कुछ मुँह से निकलने नहीं देते
गर्मी-ए-मोहब्बत में वो है आह से माअ़ने
पंखा नफ़स-ए-सर्द<ref>ठंडी सांस</ref> का झलने नहीं देते
शब्दार्थ
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