भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कराची में भी कोई चांद देखता है / लाल्टू" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=लाल्टू | |रचनाकार=लाल्टू | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
− | }} | + | }}{{KKAnthologyChand}} |
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> |
23:24, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
कराची में भी कोई चाँद देखता है
युद्ध सरदार परेशान
ऐसे दिनों में हम चाँद देख रहे हैं
चाँद के बारे में सबसे अच्छी ख़बर कि
वहाँ कोई हिंद पाक नहीं है
चाँद ने उन्हें खारिज शब्दों की तरह कूड़ेदान में फेंक दिया है ।
आलोक धन्वा! तुम्हारे जुलूस में मैं हूँ, वह है
चाँद की पकाई खीर खाने हम साथ बैठेंगे
बगदाद, कराची, अमृतसर, श्रीनगर जा
अनधोए अँगूठों पर चिपके दाने चाटेंगे।