भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दूज रो चांद / रामस्वरूप किसान" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामस्वरूप किसान |संग्रह=आ बैठ बात करां / रामस्व…)
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
}}
 
}}
 
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}
+
{{KKAnthologyChand}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<Poem>
 
<Poem>
  

23:32, 1 अप्रैल 2011 का अवतरण


रात रै
गळ में
हंसली
दूज रौ चांद

आभै में पड़ी
दांती
दूज रौ चांद

घड़ी एक नै दांती
हंसली काट‘र
दिखै जांती

अर
रात रौ रंग
काळौ कुट्ट।