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"उसने मुझसे बोला झूठ/ कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem>उसने मुझसे बोला झूठ अपना पहला पहला झूठ ताकतवर था खूब मगर फिर भी …)
 
 
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चलता खुल्लम खुल्ला झूठ
 
चलता खुल्लम खुल्ला झूठ
  
शक्ल हमेश सच की एक
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पल पल रूप बदलता झूठ
 
पल पल रूप बदलता झूठ
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इस दुनिया की मंडी में
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सच से महंगा बिकता झूठ
  
 
सच से बढ़ कर लगा मुझे
 
सच से बढ़ कर लगा मुझे

22:43, 5 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

उसने मुझसे बोला झूठ
अपना पहला पहला झूठ

ताकतवर था खूब मगर
फिर भी सच से हारा झूठ

अब मैं तुझको भूल गया
आधा सच है आधा झूठ

सच से आगे निकल गया
गूंगा, बहरा, अंधा झूठ

कुछ तो सच के साथ रहे
ज्यादातर को भाया झूठ

जग में खोटे सिक्के सा
चलता खुल्लम खुल्ला झूठ

शक्ल हमेशा सच की एक
पल पल रूप बदलता झूठ

इस दुनिया की मंडी में
सच से महंगा बिकता झूठ

सच से बढ़ कर लगा मुझे
उसका प्यारा प्यारा झूठ

माँ से बढ़कर पापा हैं
कितना भोला भाला झूठ

सच ने क्या कम घर तोड़े
बदनाम हुआ बेचारा झूठ