भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"संकल्प / मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर }}...)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर
 
|संग्रह=मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर
 
}}
 
}}
 +
{{KKAnthologyDeath}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
पूर्ण निष्ठावान  
 
पूर्ण निष्ठावान  
 
 
हम,
 
हम,
 
 
आश्वस्त हो उतरे
 
आश्वस्त हो उतरे
 
 
विकट जीवन-मरण के
 
विकट जीवन-मरण के
 
 
द्वन्द्व में !
 
द्वन्द्व में !
 
 
बन सिपाही
 
बन सिपाही
 
 
अमर जीवन-वाहिनी के,
 
अमर जीवन-वाहिनी के,
 
 
घिर न पाएंगे
 
घिर न पाएंगे
 
 
विपक्षी के किसी
 
विपक्षी के किसी
 
 
छल-छन्द में !
 
छल-छन्द में !
 
  
 
हार जाएँ,
 
हार जाएँ,
 
 
पर, वर्चस्व मानेंगे नहीं
 
पर, वर्चस्व मानेंगे नहीं
 
  
 
तनिक भी मरण का,
 
तनिक भी मरण का,
 
 
अधिकार अपना
 
अधिकार अपना
 
 
छिनने नहीं देंगे
 
छिनने नहीं देंगे
 
 
जीवन वरण का !
 
जीवन वरण का !
 
 
जयघोष गूँजेगा
 
जयघोष गूँजेगा
 
 
चरम निश्वास तक,
 
चरम निश्वास तक,
 
 
संघर्षरत
 
संघर्षरत
 
 
बल-प्राण जूझेगा
 
बल-प्राण जूझेगा
 
 
शेष आस / प्रयास तक !
 
शेष आस / प्रयास तक !
 +
</poem>

01:45, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

पूर्ण निष्ठावान
हम,
आश्वस्त हो उतरे
विकट जीवन-मरण के
द्वन्द्व में !
बन सिपाही
अमर जीवन-वाहिनी के,
घिर न पाएंगे
विपक्षी के किसी
छल-छन्द में !

हार जाएँ,
पर, वर्चस्व मानेंगे नहीं

तनिक भी मरण का,
अधिकार अपना
छिनने नहीं देंगे
जीवन वरण का !
जयघोष गूँजेगा
चरम निश्वास तक,
संघर्षरत
बल-प्राण जूझेगा
शेष आस / प्रयास तक !