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"मृत्यु-5 / शुभाशीष चक्रवर्ती" के अवतरणों में अंतर
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शाम का भय फैल रहा है | शाम का भय फैल रहा है |
01:47, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
शाम का भय फैल रहा है
अकेले कमरे से
मैं भाग रहा हूँ
सूर्य का प्रकाश
उस छोर तक पहुँचकर
लौट रहा है
संयम शरीर छोड़ रहा है
तुम फिर याद आ रही हो