भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मौत तू एक कविता है / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार }} मौत तू एक कविता है,<br> मुझसे एक कविता का वादा ह...)
 
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=गुलज़ार
 
|रचनाकार=गुलज़ार
}}  
+
}} {{KKAnthologyDeath}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 +
मौत तू एक कविता है
 +
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
  
मौत तू एक कविता है,<br>
+
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको<br><br>
+
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुँचे
 +
        दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
 +
        ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
  
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे<br>
+
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुचे<br>
+
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको</poem>
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब<br>
+
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन<br><br>
+
  
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ <br>
+
''(इस कविता को हिन्दी फ़िल्म "आनंद" में डा. भास्कर बैनर्जी नामक चरित्र के लिये लिखा गया था। इस चरित्र को फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने निभाया था)''
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको<br><br>
+

01:54, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

मौत तू एक कविता है
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको

डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुँचे
         दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
         ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन

जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको

(इस कविता को हिन्दी फ़िल्म "आनंद" में डा. भास्कर बैनर्जी नामक चरित्र के लिये लिखा गया था। इस चरित्र को फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने निभाया था)