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"सड़कों, चौराहों पर मौत और लाशें-9 / पाब्लो नेरूदा" के अवतरणों में अंतर
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02:01, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
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जो लोग इस सड़क पर
गोली-भरी राइफ़लें लेकर आए थे
जो लोग आदेशानुसार
ख़ून करने आए थे
कृपा करने नहीं
ख़ून करने
उन लोगों ने देखा
एक भीड़ गीत गाने लगी
वे लोग महज भीड़ नहीं थे
भीड़ आज अपने कर्त्तव्य से, प्यार से
जनसमुद्र में बदल गई थी
और एक कमज़ोर-सी
पतली-दुबली लड़की के हाथ से
अचानक गिर पड़ा था वह झंडा
सड़क पर
और उसके गिरने की निःशब्दता से आहत
जनसमुद्र उसकी ओर देखता रहा
और धीरे-धीरे उसका दुख
हाहाकार और तरंगों में बदल गया
एक दबी हुई ठंडी रागिनी में
अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय