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"सड़कों, चौराहों पर मौत और लाशें-2 / पाब्लो नेरूदा" के अवतरणों में अंतर
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02:02, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
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हमारी पितृभूमि के
महलों के साथ-साथ
शीशे-सी चमकीली
बर्फ़ की सफ़ेद धार-सी उज्ज्वल
हरे-भरे वृक्षों की छाया में
बह रही नदी के
रहस्यों में छुपी
नोनी मिट्टी के अँखुवाते बीजों के नीचे
मैंने देखी
अपने लोगों की रक्त की बूँदें
बह रही हैं, बिखेर दी गई हैं
और प्रत्येक बूँद
आग की तरह धधक रही है
अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय