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"जब माँ आई / प्रियदर्शन" के अवतरणों में अंतर
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मैंने पूछा, अब तबीयत तो ठीक रहती है | मैंने पूछा, अब तबीयत तो ठीक रहती है | ||
वह मेरे साथ रसोई में काम करती रही | वह मेरे साथ रसोई में काम करती रही |
00:27, 7 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
जाने के १४ साल बाद माँ आई
मैंने पूछा, अब तबीयत तो ठीक रहती है
वह मेरे साथ रसोई में काम करती रही
शाम को टहलने भी निकली
मैं छुपा रहा था वे रचनाएँ, वे लेख
जिनमें उसकी बीमारी और मौत का ज़िक्र था
मैंने पूछा, तुम्हें पता है, मेरी क़िताब छपी । मेरा एक बेटा है
उसे पता था
हम बहुत देर तक साथ रहे,
उसने बताया, उसे रात साढ़े नौ बजे नींद आने लगती है
न जाने किस शहर का ज़िक्र वह करती रही
मुझे लगता रहा वह सिर्फ़ मेरे बारे में सोच रही है
अपनी परेशानी, अपनी बीमारी और अपनी मौत से
यह आठ दिसंबर की सुबह का सपना था
जब आँख खुली
तो लगा, ऐसी उजली, ऐसी मुलायम ऐसी शांत सुबह
तो जीवन में कभी आई ही नहीं ।