भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नाक़ाबिल ए फ़रामोश / ज़िया फ़तेहाबादी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: दिल को दीवा बनाना याद है मस्तियाँ हर सू लुटाना याद है सहन ए गुलशन …)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
दिल को दीवा बनाना याद है  
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=ज़िया फतेहाबादी
 +
|संग्रह=
 +
}}
 +
{{KKCatNazm}}
 +
<poem>
 +
दिल को दीवाना  बनाना याद है  
 
मस्तियाँ हर सू लुटाना याद है
 
मस्तियाँ हर सू लुटाना याद है
 
सहन ए गुलशन में बसद हुस्न ओ जमाल  
 
सहन ए गुलशन में बसद हुस्न ओ जमाल  
पंक्ति 10: पंक्ति 17:
 
कर गए हैं दिल में घर कुछ  इस तरह
 
कर गए हैं दिल में घर कुछ  इस तरह
 
मैं वो बीते दिन भुला दूँ किस तरह
 
मैं वो बीते दिन भुला दूँ किस तरह
 +
</poem>

07:16, 7 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

दिल को दीवाना बनाना याद है
मस्तियाँ हर सू लुटाना याद है
सहन ए गुलशन में बसद हुस्न ओ जमाल
रोज़ ताज़ा गुल खिलाना याद है
मुस्करा कर देखना मेरी तरफ़
देख कर फिर मुस्कराना याद है
मुझ से रफ़्ता रफ़्ता वो खुलना तेरा
नीची नज़रों को उठाना याद है

कर गए हैं दिल में घर कुछ इस तरह
मैं वो बीते दिन भुला दूँ किस तरह