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"इक क़यामत मेरी हयात बनी / ज़िया फ़तेहाबादी" के अवतरणों में अंतर
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− | इक क़यामत मेरी हयात बनी | + | इक क़यामत मेरी हयात बनी | |
− | गरमी ए बज़्म ए कायनात बनी | + | गरमी ए बज़्म ए कायनात बनी | |
आशना ए सुकूँ थी ला इलमी | आशना ए सुकूँ थी ला इलमी | ||
− | आगही फ़िक्र ए शशजहात बनी | + | आगही फ़िक्र ए शशजहात बनी | |
मौत ने जब फ़ना की दी तालीम | मौत ने जब फ़ना की दी तालीम | ||
− | वो घडी मुश्दा ए हयात बनी | + | वो घडी मुश्दा ए हयात बनी | |
मौसम ए बरशिगाल ख़ूब आया | मौसम ए बरशिगाल ख़ूब आया | ||
− | इक दुल्हन सारी कायनात बनी | + | इक दुल्हन सारी कायनात बनी | |
दामन ए ज़ब्त में सुकूँ पाया | दामन ए ज़ब्त में सुकूँ पाया | ||
− | शोर ओ शेवन से जब न बात बनी | + | शोर ओ शेवन से जब न बात बनी | |
फिर वही रात सुबह बनती है | फिर वही रात सुबह बनती है | ||
− | जो सहर शाम हो के रात बनी | + | जो सहर शाम हो के रात बनी | |
जब्र का सब तिलिस्म टूट गया | जब्र का सब तिलिस्म टूट गया | ||
− | जब ईरादों की कायनात बनी | + | जब ईरादों की कायनात बनी | |
किस ज़मीं में ग़ज़ल कही है " ज़िया " | किस ज़मीं में ग़ज़ल कही है " ज़िया " | ||
− | कि बनाए से भी न बात बनी | + | कि बनाए से भी न बात बनी | |
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07:25, 7 अप्रैल 2011 का अवतरण
इक क़यामत मेरी हयात बनी |
गरमी ए बज़्म ए कायनात बनी |
आशना ए सुकूँ थी ला इलमी
आगही फ़िक्र ए शशजहात बनी |
मौत ने जब फ़ना की दी तालीम
वो घडी मुश्दा ए हयात बनी |
मौसम ए बरशिगाल ख़ूब आया
इक दुल्हन सारी कायनात बनी |
दामन ए ज़ब्त में सुकूँ पाया
शोर ओ शेवन से जब न बात बनी |
फिर वही रात सुबह बनती है
जो सहर शाम हो के रात बनी |
जब्र का सब तिलिस्म टूट गया
जब ईरादों की कायनात बनी |
किस ज़मीं में ग़ज़ल कही है " ज़िया "
कि बनाए से भी न बात बनी |