"कितने ही ज़ख़्म चाक हुए तेरे जाने के बाद/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर
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कितने ही ज़ख़्म चाक हुए तेरे जाने के बाद | कितने ही ज़ख़्म चाक हुए तेरे जाने के बाद | ||
हुए तेरी हसरत में मुए तेरे जाने के बाद | हुए तेरी हसरत में मुए तेरे जाने के बाद | ||
− | सोहबत किसी दोस्त की रास न आयी हमें | + | सोहबत<ref>साथ</ref> किसी दोस्त की रास न आयी हमें |
− | + | अलग-अलग सबसे रहे तेरे जाने के बाद | |
− | + | कभी पहलू में किसी को किसी के देखा जो | |
− | + | तेरी ही ख़ाहिश में जिये तेरे जाने के बाद | |
दिल का हर टुकड़ा हर एक साँस पे रोता है | दिल का हर टुकड़ा हर एक साँस पे रोता है | ||
− | हम | + | हम आँसू पोंछा किये तेरे जाने के बाद |
− | तुम मिल जाओ अगर ज़ीस्त मिल जाये | + | तुम मिल जाओ अगर ज़ीस्त<ref>जीवन</ref> मिल जाये मुझको |
− | जिस्म | + | जिस्म को बचाते रहे तेरे जाने के बाद |
− | उज्र हमको नहीं था तुमसे बात करने को | + | उज्र<ref>कारण, उत्सव</ref> हमको नहीं था तुमसे बात करने को |
फिर भी नज़्म लिखते रहे तेरे जाने के बाद | फिर भी नज़्म लिखते रहे तेरे जाने के बाद | ||
− | तुमसे जो मरासिम है | + | तुमसे जो मरासिम<ref>बंधन</ref> है मेरा वो इश्क़ ही है |
− | हम | + | हम जिसे निभाते रहे तेरे जाने के बाद |
− | फ़िराक़ ने साँसों में | + | फ़िराक़<ref>दूरी</ref> ने साँसों में कुछ गाँठें लगा दी हैं |
− | जतन | + | जतन छुटाने के किये तेरे जाने के बाद |
− | + | दर्दो-तन्हाई के निश्तर<ref>सुइयाँ</ref> चुभते हैं आज | |
− | हम | + | हम जैसे दिवाने हुए तेरे जाने के बाद |
− | तमाशा | + | तमाशा गर्चे<ref>भला, यद्यपि</ref> अपनी मौत का किसने देखा |
− | नज़’अ में साँस | + | नज़’अ<ref>आख़िरी साँस</ref> में साँस ले रहे तेरे जाने के बाद |
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03:12, 9 अप्रैल 2011 का अवतरण
लेखन वर्ष: 2003
कितने ही ज़ख़्म चाक हुए तेरे जाने के बाद
हुए तेरी हसरत में मुए तेरे जाने के बाद
सोहबत<ref>साथ</ref> किसी दोस्त की रास न आयी हमें
अलग-अलग सबसे रहे तेरे जाने के बाद
कभी पहलू में किसी को किसी के देखा जो
तेरी ही ख़ाहिश में जिये तेरे जाने के बाद
दिल का हर टुकड़ा हर एक साँस पे रोता है
हम आँसू पोंछा किये तेरे जाने के बाद
तुम मिल जाओ अगर ज़ीस्त<ref>जीवन</ref> मिल जाये मुझको
जिस्म को बचाते रहे तेरे जाने के बाद
उज्र<ref>कारण, उत्सव</ref> हमको नहीं था तुमसे बात करने को
फिर भी नज़्म लिखते रहे तेरे जाने के बाद
तुमसे जो मरासिम<ref>बंधन</ref> है मेरा वो इश्क़ ही है
हम जिसे निभाते रहे तेरे जाने के बाद
फ़िराक़<ref>दूरी</ref> ने साँसों में कुछ गाँठें लगा दी हैं
जतन छुटाने के किये तेरे जाने के बाद
दर्दो-तन्हाई के निश्तर<ref>सुइयाँ</ref> चुभते हैं आज
हम जैसे दिवाने हुए तेरे जाने के बाद
तमाशा गर्चे<ref>भला, यद्यपि</ref> अपनी मौत का किसने देखा
नज़’अ<ref>आख़िरी साँस</ref> में साँस ले रहे तेरे जाने के बाद