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"जो होता है भले के लिए होता है/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर
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− | ख़ुद को समझने के लिए होता है | + | ख़ुद को ज़िंदा समझने के लिए होता है |
− | इंसान की आदत है बदल जाना | + | इंसान की आदत में है बदल जाना |
− | + | बना ही बदलने के लिए होता है | |
− | वक़्त | + | बहता वक़्त रुकता है कब किसके लिए |
− | आदतन चलने के लिए होता है | + | ये आदतन चलने के लिए होता है |
− | सच-झूठ का दुनिया में | + | सच-झूठ का दुनिया में होगा हिसाब |
− | मुँह | + | ये सब मुँह पे कहने के लिए होता है |
− | माहिर एक तू ही नहीं ज़ीस्त का | + | यहाँ माहिर<ref>सर्वोत्तम</ref> एक तू ही नहीं ज़ीस्त<ref>जीवन</ref> का |
− | बहाना | + | बहाना ख़ुद छलने के लिए होता है |
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20:37, 9 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
रचनाकाल: २००३/२०११
जो होता है भले के लिए होता है
ख़ुद को ज़िंदा समझने के लिए होता है
इंसान की आदत में है बदल जाना
बना ही बदलने के लिए होता है
बहता वक़्त रुकता है कब किसके लिए
ये आदतन चलने के लिए होता है
सच-झूठ का दुनिया में होगा हिसाब
ये सब मुँह पे कहने के लिए होता है
यहाँ माहिर<ref>सर्वोत्तम</ref> एक तू ही नहीं ज़ीस्त<ref>जीवन</ref> का
बहाना ख़ुद छलने के लिए होता है
शब्दार्थ
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