"तुम गर हो सीना मुझ को बना लो धड़कन/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर
विनय प्रजापति (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र' }} category: ग़ज़ल <poem> '''लेखन वर्ष:...) |
विनय प्रजापति (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
<poem> | <poem> | ||
− | '''लेखन वर्ष: | + | '''लेखन वर्ष: २००४/२०११''' |
− | तुम गर हो सीना | + | तुम गर हो सीना मुझको बना लो धड़कन |
− | आतिश बहे | + | आतिश बहे नसों में मिटे शीत की कम्पन |
− | जिस सूरत पे दिल आ गया उसपे निसार है सब | + | जिस सूरत पे दिल आ गया उसपे निसार |
− | मेरी यह उम्र, यह जान, यह यौवन | + | है सब, मेरी यह उम्र, यह जान, यह यौवन |
− | रंग-बिरंगे फूल खिले ख़ुशबू बिखरी हर-सू | + | रंग-बिरंगे फूल खिले ख़ुशबू बिखरी हर-सू<ref>सभी दिशाओं में</ref> |
− | मन की तितली | + | मन की तितली फिर रही है गुलशन-गुलशन |
− | प्यार का जादू अब | + | प्यार का जादू अब समझे क्या होता है |
हम-तुम दोनों जैसे पानी और चन्दन | हम-तुम दोनों जैसे पानी और चन्दन | ||
− | अब्रे-मेहरबाँ एक फ़साना | + | अब्रे-मेहरबाँ<ref>पानी बरसाने वाले बादल</ref> एक फ़साना रहे मुझको |
− | + | चाँद खो गया जिनमें बढ़ा के मेरी लगन | |
− | + | वाद:-ए-निबाह<ref>साथ देने के वादे</ref> न किये फिर भी टूटे मुझसे | |
है नसीब मुझको बिन चाँद यह स्याह गगन | है नसीब मुझको बिन चाँद यह स्याह गगन | ||
− | तेरी नज़र ने ज़िबह किया बारहा मुझको | + | तेरी नज़र ने ज़िबह<ref>क़त्ल</ref> किया बारहा मुझको |
रहा ताउम्र मुझ पर तेरा ही पागलपन | रहा ताउम्र मुझ पर तेरा ही पागलपन | ||
‘नज़र’ तेरी मेहर को बैठा है आज तलक | ‘नज़र’ तेरी मेहर को बैठा है आज तलक | ||
− | मरासिम बना के | + | मरासिम<ref>बन्धन</ref> बना के जोड़ लो मुझसे बन्धन |
+ | {{KKMeaning}} | ||
</poem> | </poem> |
00:15, 10 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
लेखन वर्ष: २००४/२०११
तुम गर हो सीना मुझको बना लो धड़कन
आतिश बहे नसों में मिटे शीत की कम्पन
जिस सूरत पे दिल आ गया उसपे निसार
है सब, मेरी यह उम्र, यह जान, यह यौवन
रंग-बिरंगे फूल खिले ख़ुशबू बिखरी हर-सू<ref>सभी दिशाओं में</ref>
मन की तितली फिर रही है गुलशन-गुलशन
प्यार का जादू अब समझे क्या होता है
हम-तुम दोनों जैसे पानी और चन्दन
अब्रे-मेहरबाँ<ref>पानी बरसाने वाले बादल</ref> एक फ़साना रहे मुझको
चाँद खो गया जिनमें बढ़ा के मेरी लगन
वाद:-ए-निबाह<ref>साथ देने के वादे</ref> न किये फिर भी टूटे मुझसे
है नसीब मुझको बिन चाँद यह स्याह गगन
तेरी नज़र ने ज़िबह<ref>क़त्ल</ref> किया बारहा मुझको
रहा ताउम्र मुझ पर तेरा ही पागलपन
‘नज़र’ तेरी मेहर को बैठा है आज तलक
मरासिम<ref>बन्धन</ref> बना के जोड़ लो मुझसे बन्धन