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"मुझसे बोलो / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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'''मुझ से बोलो'''
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बादल! मुझसे बोलो!
 
बादल! मुझसे बोलो!
  
बन्द रन्ध्र सब खोलो!<br />
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बन्द रन्ध्र सब खोलो!
रोम रोम में बजो<br />
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रोम रोम में बजो
 
हमारे हो लो!
 
हमारे हो लो!
  
मिट्टी की यह छुअन<br />
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मिट्टी की यह छुअन
तुम्हारी, उमड़े.<br />
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तुम्हारी, उमड़े
गन्ध बने स्मृति की-<br />
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गन्ध बने स्मृति की-
 
व्याकुल, बोलो!
 
व्याकुल, बोलो!
  
 
जी भर जी को धो लो!
 
जी भर जी को धो लो!
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13:18, 11 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

बादल! मुझसे बोलो!

बन्द रन्ध्र सब खोलो!
रोम रोम में बजो
हमारे हो लो!

मिट्टी की यह छुअन
तुम्हारी, उमड़े
गन्ध बने स्मृति की-
व्याकुल, बोलो!

जी भर जी को धो लो!