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"मेरी मोहब्बत को समझते हो तुम ग़लत, ग़लत नहीं है/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर
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मेरी मोहब्बत को समझते हो तुम ग़लत, ग़लत नहीं है | मेरी मोहब्बत को समझते हो तुम ग़लत, ग़लत नहीं है | ||
− | तुमको चाहा है मैंने | + | तुमको चाहा है मैंने गर इसमें कुछ ग़लत नहीं है |
दिखा दो तुम कोई अपना-सा इस ज़माने में मुझको | दिखा दो तुम कोई अपना-सा इस ज़माने में मुझको | ||
मैं अगर फिर चाह लूँ उसको इसमें कुछ ग़लत नहीं है | मैं अगर फिर चाह लूँ उसको इसमें कुछ ग़लत नहीं है | ||
− | + | मेरे दिल को सुकून आया है तेरी सूरत देखकर | |
− | किसी चेहरे से सुकूनो-सबात | + | यूँ किसी चेहरे से सुकूनो-सबात कुछ ग़लत नहीं है |
− | + | जो मैंने देखा तेरी आँखों में वो तुझे मालूम है | |
− | मोहब्बत की नज़र से | + | मोहब्बत की नज़र से तुझे देखना कुछ ग़लत नहीं है |
− | डरते हो | + | डरते हो तुम अपने-आप से या फिर यूँ ही किया सब |
पहले प्यार में दिल का उलझ जाना कुछ ग़लत नहीं है | पहले प्यार में दिल का उलझ जाना कुछ ग़लत नहीं है | ||
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00:21, 12 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
लेखन वर्ष: २००४/२०११
मेरी मोहब्बत को समझते हो तुम ग़लत, ग़लत नहीं है
तुमको चाहा है मैंने गर इसमें कुछ ग़लत नहीं है
दिखा दो तुम कोई अपना-सा इस ज़माने में मुझको
मैं अगर फिर चाह लूँ उसको इसमें कुछ ग़लत नहीं है
मेरे दिल को सुकून आया है तेरी सूरत देखकर
यूँ किसी चेहरे से सुकूनो-सबात कुछ ग़लत नहीं है
जो मैंने देखा तेरी आँखों में वो तुझे मालूम है
मोहब्बत की नज़र से तुझे देखना कुछ ग़लत नहीं है
डरते हो तुम अपने-आप से या फिर यूँ ही किया सब
पहले प्यार में दिल का उलझ जाना कुछ ग़लत नहीं है