भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अब तेरी सरन आयो राम / मलूकदास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = मलूकदास }}<poem> अब तेरी सरन आयो राम॥१॥ जबै सुनियो ...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार = मलूकदास | |रचनाकार = मलूकदास | ||
− | }}<poem> | + | }}{{KKCatKavita}} |
+ | {{KKAnthologyRam}}<poem> | ||
अब तेरी सरन आयो राम॥१॥ | अब तेरी सरन आयो राम॥१॥ | ||
जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥२॥ | जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥२॥ | ||
यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥३॥ | यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥३॥ | ||
बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक गुलाम॥४॥ | बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक गुलाम॥४॥ |
19:33, 13 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
अब तेरी सरन आयो राम॥१॥
जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥२॥
यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥३॥
बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक गुलाम॥४॥