भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गेंदे के फूल / देवेन्द्र कुमार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवेन्द्र कुमार |संग्रह= }} <Poem> गेंदे के फूल खिले ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatNavgeet}} | |
<Poem> | <Poem> | ||
गेंदे के फूल खिले | गेंदे के फूल खिले | ||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
मौसम के खुशगवार | मौसम के खुशगवार | ||
निकले बे पेंदे के । | निकले बे पेंदे के । | ||
− | |||
</poem> | </poem> |
21:24, 13 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
गेंदे के फूल खिले
खिले फूल गेंदे के ।
टूसे थे पात हुए
जन-जन के हाथ हुए
अपनी तो पूंजी है
इतनी-सी, ले-दे के ।
जो भी थे सह सवार
मौसम के खुशगवार
निकले बे पेंदे के ।