Changes

उसकी दुनिया / अनिल जनविजय

17 bytes removed, 05:56, 15 अप्रैल 2011
{{KKGlobal}}
रचनाकारः [[{{KKRachna|रचनाकार=अनिल जनविजय]][[Category:कविताएँ]][[Category:|संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय]]}}~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~{{KKAnthologyLove}}{{KKCatKavita‎}}<poem>
उसकी दुनिया
 
बिल्कुल अलग है
 
मेरी दुनिया से
 
उसकी दुनिया में सपने हैं प्यार के
 
कहीं दूर से उसे ब्याहने को आए राजकुमार के
 
प्रेम है वहाँ, स्नेह है
 
हृदय में वात्सल्य का अजस्र स्रोत
 
पक्षियों की उड़ान है उसके भीतर
 
फूल हैं, हरे-भरे बाग हैं
 
दूर आसमान को पार कर
 
सूरज और चाँद तक पहुँच जाने की इच्छा
 
हेलबोप्प पुच्छल तारे को छूकर
 
लौट आने की इच्छा
कहीं किसी वन में
 
हिरणी की तरह दौड़ लगाना चाहती है वह
 
अपने पीछे नर-हिरण को भगाना चाहती है वह
 
उसकी दुनिया में सपने हैं यार के
 दिन-रात उसके पास रहे, ऎसे ऐसे दिलदार के 
बिल्कुल अलग है उसकी दुनिया
 
मेरी दुनिया से
 
उसकी दुनिया में अभी भूख नहीं है
 
बेरोज़गारी, बेकारी नहीं है
 
आर्थिक संकट की सूली नहीं है उसकी दुनिया में
 
घर तो है पर घर का हिसाब नहीं है
 
बेशुमार बच्चे तो हैं, पर उनका शाप नहीं है
 
नौकरी की इच्छा, पैसा कमाने की होड़
 
प्रतिद्वंद्विता, तनाव
 
अभाव, अक्षमता, बेचारगी
 
ऋण, सूद, सूदखोर, बेबसी
 
गिद्ध, साँप, छल-कपट, दगा, धोखा
 
छाती पर दला मूँग, युद्ध, हत्यारे
 
विपत्तियाँ, चिंताएँ और परेशानियाँ
 
खर्चे दुनिया भर के नहीं हैं वहाँ
 
चर्चे दुनिया भर के नहीं हैं वहाँ
 
उसकी दुनिया
 
बिल्कुल अलग है
 
मेरी दुनिया से
 (1997 में रचित) </poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits