"उसकी दुनिया / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय | |संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKAnthologyLove}} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
उसकी दुनिया | उसकी दुनिया | ||
बिल्कुल अलग है | बिल्कुल अलग है | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 27: | ||
उसकी दुनिया में सपने हैं यार के | उसकी दुनिया में सपने हैं यार के | ||
− | दिन-रात उसके पास रहे, | + | दिन-रात उसके पास रहे, ऐसे दिलदार के |
बिल्कुल अलग है उसकी दुनिया | बिल्कुल अलग है उसकी दुनिया | ||
मेरी दुनिया से | मेरी दुनिया से | ||
− | |||
उसकी दुनिया में अभी भूख नहीं है | उसकी दुनिया में अभी भूख नहीं है | ||
पंक्ति 46: | पंक्ति 45: | ||
खर्चे दुनिया भर के नहीं हैं वहाँ | खर्चे दुनिया भर के नहीं हैं वहाँ | ||
चर्चे दुनिया भर के नहीं हैं वहाँ | चर्चे दुनिया भर के नहीं हैं वहाँ | ||
− | |||
उसकी दुनिया | उसकी दुनिया | ||
पंक्ति 52: | पंक्ति 50: | ||
मेरी दुनिया से | मेरी दुनिया से | ||
− | + | (1997) | |
</poem> | </poem> |
11:26, 15 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
उसकी दुनिया
बिल्कुल अलग है
मेरी दुनिया से
उसकी दुनिया में सपने हैं प्यार के
कहीं दूर से उसे ब्याहने को आए राजकुमार के
प्रेम है वहाँ, स्नेह है
हृदय में वात्सल्य का अजस्र स्रोत
पक्षियों की उड़ान है उसके भीतर
फूल हैं, हरे-भरे बाग हैं
दूर आसमान को पार कर
सूरज और चाँद तक पहुँच जाने की इच्छा
हेलबोप्प पुच्छल तारे को छूकर
लौट आने की इच्छा
कहीं किसी वन में
हिरणी की तरह दौड़ लगाना चाहती है वह
अपने पीछे नर-हिरण को भगाना चाहती है वह
उसकी दुनिया में सपने हैं यार के
दिन-रात उसके पास रहे, ऐसे दिलदार के
बिल्कुल अलग है उसकी दुनिया
मेरी दुनिया से
उसकी दुनिया में अभी भूख नहीं है
बेरोज़गारी, बेकारी नहीं है
आर्थिक संकट की सूली नहीं है उसकी दुनिया में
घर तो है पर घर का हिसाब नहीं है
बेशुमार बच्चे तो हैं, पर उनका शाप नहीं है
नौकरी की इच्छा, पैसा कमाने की होड़
प्रतिद्वंद्विता, तनाव
अभाव, अक्षमता, बेचारगी
ऋण, सूद, सूदखोर, बेबसी
गिद्ध, साँप, छल-कपट, दगा, धोखा
छाती पर दला मूँग, युद्ध, हत्यारे
विपत्तियाँ, चिंताएँ और परेशानियाँ
खर्चे दुनिया भर के नहीं हैं वहाँ
चर्चे दुनिया भर के नहीं हैं वहाँ
उसकी दुनिया
बिल्कुल अलग है
मेरी दुनिया से
(1997)