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"तुम्हारी याद / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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(मधु सोमानी के लिए)
 
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तुम्हारी याद आती है
 
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जैसे लगती है भूख
 
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लगती है प्यास
 
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आता है गुस्सा
 
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आता है प्यार
 
आता है प्यार
 
 
जैसे कभी-कभी केलि के बाद
 
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आती है गहरी नींद
 
आती है गहरी नींद
 
 
वैसे ही आती है याद तुम्हारी
 
वैसे ही आती है याद तुम्हारी
 
  
 
तुम्हारी याद आती है
 
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जैसे कभी किसी बात पर आती है हँसी
 
जैसे कभी किसी बात पर आती है हँसी
 
 
किसी-किसी बात पर रोना
 
किसी-किसी बात पर रोना
 
 
कभी अचानक गाने का मन करता है
 
कभी अचानक गाने का मन करता है
 
 
उछल-कूद हंगामा करने का मन करता है
 
उछल-कूद हंगामा करने का मन करता है
 
 
वैसे ही आती है याद तुम्हारी
 
वैसे ही आती है याद तुम्हारी
 
  
 
तुम्हारी याद आती है
 
तुम्हारी याद आती है
 
 
जैसे पेड़ों पर आते हैं फल
 
जैसे पेड़ों पर आते हैं फल
 
 
जंगल में चहचहाते हैं पक्षी
 
जंगल में चहचहाते हैं पक्षी
 
 
रात के बाद आता है दिन
 
रात के बाद आता है दिन
 
 
और सूरज के बाद निकलता है चाँद
 
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जैसे बदलती हैं ऋतुएँ  
 
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एक के बाद एक छह बार
 
एक के बाद एक छह बार
 
 
मौसम के घोड़े पर सवार
 
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वैसे ही आती है तुम्हारी याद
 
वैसे ही आती है तुम्हारी याद
  
 
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(1995)
(1995 में रचित)
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11:27, 15 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

(मधु सोमानी के लिए)

तुम्हारी याद आती है
जैसे लगती है भूख
लगती है प्यास
आता है गुस्सा
आता है प्यार
जैसे कभी-कभी केलि के बाद
आती है गहरी नींद
वैसे ही आती है याद तुम्हारी

तुम्हारी याद आती है
जैसे कभी किसी बात पर आती है हँसी
किसी-किसी बात पर रोना
कभी अचानक गाने का मन करता है
उछल-कूद हंगामा करने का मन करता है
वैसे ही आती है याद तुम्हारी

तुम्हारी याद आती है
जैसे पेड़ों पर आते हैं फल
जंगल में चहचहाते हैं पक्षी
रात के बाद आता है दिन
और सूरज के बाद निकलता है चाँद
जैसे बदलती हैं ऋतुएँ
एक के बाद एक छह बार
मौसम के घोड़े पर सवार
वैसे ही आती है तुम्हारी याद

(1995)