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"एक दिन की बात / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
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उस दिन तू मुझको लगी थी | उस दिन तू मुझको लगी थी | ||
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अतिमोहक, अभिरामा, अलबेली | अतिमोहक, अभिरामा, अलबेली | ||
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बच्चों के संग झील में थी तू | बच्चों के संग झील में थी तू | ||
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कर रही थी जलकेली | कर रही थी जलकेली | ||
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मुझे तैरना नहीं आता था | मुझे तैरना नहीं आता था | ||
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इसलिए जल मुझे नहीं भाता था | इसलिए जल मुझे नहीं भाता था | ||
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मैं खड़ा किनारे गुन रहा था | मैं खड़ा किनारे गुन रहा था | ||
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तेरे शरीर की आभा | तेरे शरीर की आभा | ||
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और मन ही मन बुन रहा था | और मन ही मन बुन रहा था | ||
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एक नई कविता का धागा | एक नई कविता का धागा | ||
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तभी लगा अचानक मुझे | तभी लगा अचानक मुझे | ||
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तू डूब रही है | तू डूब रही है | ||
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मैं तेज़ी-से तुझ तक भागा | मैं तेज़ी-से तुझ तक भागा | ||
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मन मेरा बेहद घबराया | मन मेरा बेहद घबराया | ||
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दिखी नहीं जब तेरी छाया | दिखी नहीं जब तेरी छाया | ||
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तब कपड़ों में ही सीधे | तब कपड़ों में ही सीधे | ||
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मैं जल में कूद पड़ा था | मैं जल में कूद पड़ा था | ||
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तुझे बचाने की कोशिश में | तुझे बचाने की कोशिश में | ||
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ख़ुद मैं डूब रहा था | ख़ुद मैं डूब रहा था | ||
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अब तू घबराई | अब तू घबराई | ||
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पास मेरे आई | पास मेरे आई | ||
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आकर मुझे बचाया | आकर मुझे बचाया | ||
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फिर मैं हँसता था, तू हँसती थी | फिर मैं हँसता था, तू हँसती थी | ||
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तूने मुझे बताया-- | तूने मुझे बताया-- | ||
"नहीं-नहीं मैं डूबी कहाँ थी | "नहीं-नहीं मैं डूबी कहाँ थी | ||
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कर रही थी तुझसे अठखेली" | कर रही थी तुझसे अठखेली" | ||
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फिर शरमाई तू ऎसे मुझसे | फिर शरमाई तू ऎसे मुझसे | ||
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जैसे वधू हो नई-नवेली | जैसे वधू हो नई-नवेली | ||
− | + | (2003) | |
− | 2003 | + | </poem> |
11:28, 15 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
उस दिन तू मुझको लगी थी
अतिमोहक, अभिरामा, अलबेली
बच्चों के संग झील में थी तू
कर रही थी जलकेली
मुझे तैरना नहीं आता था
इसलिए जल मुझे नहीं भाता था
मैं खड़ा किनारे गुन रहा था
तेरे शरीर की आभा
और मन ही मन बुन रहा था
एक नई कविता का धागा
तभी लगा अचानक मुझे
तू डूब रही है
मैं तेज़ी-से तुझ तक भागा
मन मेरा बेहद घबराया
दिखी नहीं जब तेरी छाया
तब कपड़ों में ही सीधे
मैं जल में कूद पड़ा था
तुझे बचाने की कोशिश में
ख़ुद मैं डूब रहा था
अब तू घबराई
पास मेरे आई
आकर मुझे बचाया
फिर मैं हँसता था, तू हँसती थी
तूने मुझे बताया--
"नहीं-नहीं मैं डूबी कहाँ थी
कर रही थी तुझसे अठखेली"
फिर शरमाई तू ऎसे मुझसे
जैसे वधू हो नई-नवेली
(2003)