भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक अकेले से / अरुणा राय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=अरुणा राय | |रचनाकार=अरुणा राय | ||
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKAnthologyLove}} |
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
चलते - चलते | चलते - चलते |
12:33, 15 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
चलते - चलते
हाथ बढ़ाए हमने
तो वो उलझे
और छूट गए
और छोड़ गए उलझन
अब
एक अकेले से
वह सुलझे कैसे ...