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"कुछ भी नहीं बदला / संध्या गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
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सन्दूक से पुराने ख़त निकालती हूँ | सन्दूक से पुराने ख़त निकालती हूँ |
13:08, 15 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
सन्दूक से पुराने ख़त निकालती हूँ
कुछ भी नहीं बदला...
छुअन
एहसास
संवेदना!
पच्चीस वर्षों के पुराने अतीत में
सिर्फ़
उन उंगलियों का साथ
छूट गया है...