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"उस ज़माने में / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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00:13, 29 जून 2008 का अवतरण


यह जो शहर यहाँ है

इसका क़िला गिर सकता है


कारें रुक सकती हैं किसी वक़्त


फिसल सकते हैं महाराजा

यहीं कनाट प्लेस में


एक धुँआ उठ सकता है

और संभव है जब तक धुँआ हवा में घुले,

हमारी संसद वहाँ न हो


धुँधला पड़ सकता है यमुना का बहाव

सड़कें भागती और अदृश्य होती हो सकती हैं

लट्टू बुझ सकते हैं

दर्द के बढ़ते-बढ़ते फट सकता है सर

ज़मीन कहीं भी जा सकती है यहाँ से सरककर


नहीं जानते यहाँ के दूरदर्शी लोग कि ज़माना कितनी दूर है

जानते हैं वे

जिन्होंने देखा है इस शहर को बहुत दूर से