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"हे श्याम सखा (होली मतवाला) / आर्त" के अवतरणों में अंतर
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19:57, 18 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
हे श्याम सखा तोरे पइया परूँ मोहे जसुदाकुँवर से मिला दे ।।
ब्रह्मज्ञान की पोथी पुरानी, क्या समझें हम प्रेम दिवानी
खूब फसी छलिया से नेहिया लगाके
डारि गले बहिंया कि फसिया मरूँ, रसिया का संदेशा दिला दे ।।
हरी हरी टेरे जमुना की लहरिया, सूनी भई बरसाना डगरिया
’आर्त’ श्याम घन बनि-बनि बरसो
बिरह अगिनि दिन रतिया जरूँ, मोरी सूखी कियरिया खिलादे ।।
इस गीत को गाने की विधा ’यू ट्यूब’ पर चलचित्रों के माध्यम से देखी व सीखी जा सकती है । उत्सुक बन्धु ’यू ट्यूब’ पर जाकर इसके नाम से खोज करें ।