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"कुंज भवन सएँ निकसलि / विद्यापति" के अवतरणों में अंतर

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कुंज भवन सएँ निकसलि रे रोकल गिरिधारी।<br>
 
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एकहि नगर बसु माधव हे जनि करु बटमारी।।<br>
 
एकहि नगर बसु माधव हे जनि करु बटमारी।।<br>

20:05, 18 अप्रैल 2011 का अवतरण

कुंज भवन सएँ निकसलि रे रोकल गिरिधारी।
एकहि नगर बसु माधव हे जनि करु बटमारी।।
छोड कान्ह मोर आंचर रे फाटत नब सारी।
अपजस होएत जगत भरि हे जानि करिअ उधारी।।
संगक सखि अगुआइलि रे हम एकसरि नारी।
दामिनि आय तुलायति हे एक राति अन्हारी।।
भनहि विद्यापति गाओल रे सुनु गुनमति नारी।
हरिक संग कछु डर नहि हे तोंहे परम गमारी।।