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"नैन भरि देखौ गोकुल-चंद / भारतेंदु हरिश्चंद्र" के अवतरणों में अंतर
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नैन भरि देखौ गोकुल-चंद। | नैन भरि देखौ गोकुल-चंद। |
20:15, 18 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
नैन भरि देखौ गोकुल-चंद।
श्याम बरन तन खौर बिराजत, अति सुंदर नंद-नंद।
विथुरी अलकैं मुख पै झलकैं, मनु दोऊ मन के फंद।
मुकुट लटक निरखत रबि लाजत, छबि लखि होत अनंद।
संग सोहत बृषभानु-नंदिनी, प्रमुदित आनंद-कंद।
’हरीचंद’ मन लुब्ध मधुप तहँ पीवत रस मकरंद॥