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"आवहु, कान्ह, साँझ की बेरिया / सूरदास" के अवतरणों में अंतर

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सूर स्याम कछु कहत-कहत ही बस करि लीन्हें आइ निंदरिया ॥<br>
 
सूर स्याम कछु कहत-कहत ही बस करि लीन्हें आइ निंदरिया ॥<br>
  
भावार्थ :-- माता कहती हैं, `कन्हाई ! सायंकाल हो गया, अब आ जाओ । यह बहुतकुसमयमें तुम गायों के बीचमें खड़े हो । (इस समय गायें बछड़ोंको पिलानेके लिये उछलकूद करती हैं, कहीं चोट न लग जाय) तुम तनिक भी लड़कपन नहीं छोड़ते, अब तो स्वच्छ पलंगपर सो रहो ।' यह बात सुनते ही श्यामसुन्दर आ गये । माता यशोदाजीने दौड़कर उन्हें गोदमें उठा लिया । अच्छी चाँदनी फैल रही थी, अपने पुत्रको लेकर (माता) आँगनमें ही (पलंगपर) लेट गयीं ! सूरदासजी कहते हैं कि श्यामसुन्दर कुछ बातें करते ही थे कि निद्राने आकर उन्हें वशमें कर लिया । (बातें करते-करते वे सो गये ।)
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भावार्थ :-- माता कहती हैं, `कन्हाई ! सायंकाल हो गया, अब आ जाओ । यह बहुत कुसमय में तुम गायों के बीच में खड़े हो । (इस समय गायें बछड़ों को पिलाने के लिये उछलकूद करती हैं, कहीं चोट न लग जाय) तुम तनिक भी लड़कपन नहीं छोड़ते, अब तो स्वच्छ पलंग पर सो रहो ।' यह बात सुनते ही श्यामसुन्दर आ गये । माता यशोदा जी ने दौड़कर उन्हें गोद में उठा लिया । अच्छी चाँदनी फैल रही थी, अपने पुत्र को लेकर (माता) आँगन में ही (पलंग पर) लेट गयीं ! सूरदास जी कहते हैं कि श्यामसुन्दर कुछ बातें करते ही थे कि निद्रा ने आकर उन्हें वश में कर लिया । (बातें करते-करते वे सो गये ।)

20:17, 18 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

राग कान्हरौ


आवहु, कान्ह, साँझ की बेरिया ।
गाइनि माँझ भए हौ ठाढ़े, कहति जननि, यह बड़ी कुबेरिया ॥
लरिकाई कहुँ नैकु न छाँड़त, सोइ रहौ सुथरी सेजरिया ।
आए हरि यह बात सुनतहीं, धाए लए जसुमति महतरिया ॥
लै पौढ़ी आँगनहीं सुत कौं, छिटकि रही आछी उजियरिया ॥
सूर स्याम कछु कहत-कहत ही बस करि लीन्हें आइ निंदरिया ॥

भावार्थ :-- माता कहती हैं, `कन्हाई ! सायंकाल हो गया, अब आ जाओ । यह बहुत कुसमय में तुम गायों के बीच में खड़े हो । (इस समय गायें बछड़ों को पिलाने के लिये उछलकूद करती हैं, कहीं चोट न लग जाय) तुम तनिक भी लड़कपन नहीं छोड़ते, अब तो स्वच्छ पलंग पर सो रहो ।' यह बात सुनते ही श्यामसुन्दर आ गये । माता यशोदा जी ने दौड़कर उन्हें गोद में उठा लिया । अच्छी चाँदनी फैल रही थी, अपने पुत्र को लेकर (माता) आँगन में ही (पलंग पर) लेट गयीं ! सूरदास जी कहते हैं कि श्यामसुन्दर कुछ बातें करते ही थे कि निद्रा ने आकर उन्हें वश में कर लिया । (बातें करते-करते वे सो गये ।)