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देखा था उसने जवाहर को बचपन में | देखा था उसने जवाहर को बचपन में |
19:13, 21 अक्टूबर 2007 का अवतरण
देखा था उसने जवाहर को बचपन में
तब उम्र बहुत सरस थी
तीन-चार बरस की
सफ़ेद चूड़ीदार पाजामा
सिर पर सफ़ेद टोपी थी
छाती पर लाल गुलाब सजा
श्वेत था परिधान पूरा श्वेत अचकन में
तुम भी ऎसे ही बनना--माँ ने कहा
जगा दिया बालक के मन में सपना नया
फिर जिद्दी उस बच्चे ने चाही
वैसी ही पोशाक
अचकन, चूड़ीदार पाजामा,
लाल गुलाब हो साथ
कई बरस बना रहा वह वैसा ही जवाहर
स्वदेश बसा उसके दिल में अब भी
जनता को अपनी वह करता है प्यार
उम्र हुई अब उस बालक की आठ कम पचपन की
(2004 में रचित )