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"पिता के लिए शोकगीत-3 / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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इस रास्ते पर पड़े हैं फूल
 
इस रास्ते पर पड़े हैं फूल

00:56, 19 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

इस रास्ते पर पड़े हैं फूल
लाई और सिक्के

इस रास्ते पर गिरे हैं आँसू

एक शव आज ले जाया गया है
इस रास्ते से

इस सन्नाटे में खो गई है
किसी के कंठ की लोरी
इस धूल में मिल गया है
एक स्त्री के जीवन का सबसे सुंदर रंग

पेड़ स्तब्ध हैं कि इस रास्ते पर
आज कोई नहीं हँसा

यहीं रात भर गूँजेगा
मृत्यु का अट्टाहस
रात भर रोएंगे कुत्ते

शोक में डूबे
जिन कंधों ने उठाई है अर्थी
अब वे तैयार हैं
दुनिया के किसी भी बोझ के लिए ।