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"पिता मर रहे थे / हेमन्त जोशी" के अवतरणों में अंतर
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इस दुनिया में मर रहे थे पिता | इस दुनिया में मर रहे थे पिता |
01:07, 19 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
इस दुनिया में मर रहे थे पिता
पिता के भीतर मर रही थी यह दुनिया।
मेरी दुनिया में मर रहे थे पिता
एक पूरी दुनिया मर रही थी मेरे पिता के साथ।
मृत्यु के बाद
मेरी स्मृति में जीवित रहेंगे मेरे पिता
पिता की स्मृति में नहीं रह पाऊंगा मैं?