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पिता / गोविन्द माथुर

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|रचनाकार=गोविन्द माथुर
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सर्दियों की ठिठुरती सुबह में
दरवाज़े पर उकडू से बैठे
बीडी बीड़ी पीते हुए
मुझे आता देख
हड़बड़ी में