"संस्कृत मातु: आरती / शास्त्री नित्यगोपाल कटारे" के अवतरणों में अंतर
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गायति नित्यगोपालः तव ध्यानं कृत्वा। | गायति नित्यगोपालः तव ध्यानं कृत्वा। | ||
अहर्निशं सेविष्ये जित्वाऽपि च मृत्वा।।ॐ जय ... | अहर्निशं सेविष्ये जित्वाऽपि च मृत्वा।।ॐ जय ... | ||
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01:33, 19 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
ॐ जय संस्कृत मातः देवि! जय संस्कृत मातः
नित्यं वयं भजामः त्वां सायं प्रातः।।ॐ जय....
देवास्तव महिमानं सर्व गीतवन्तः।
कालिदास वाल्मीकिः व्यासादिक सन्ताः।।ॐ जय .....
पाणिनि कात्यायिन पतञ्जलिः मुनि सेवित चरणा।
सन्धि समासालंकृता त्रयष्षष्ठि वर्णा।।ॐ जय ....
प्रत्ययोपसर्गावृत शोभितांगवस्त्रैः।
नश्यति तिमिरान्धत्वं षट्कारक शस्त्रैः।।ॐ जय ....
त्वं सद् ज्ञान स्वरूपा त्वं भारत धात्री।
कामधेनुरिव मातः सत्पदार्थ दात्री।।ॐ जय ....
यस्त्वामाराधयते किल पवित्र मनसा।
लभते फलमभीप्सितं कर्मणा च वचसा।।ॐ जय ...
ॐ प्रणवस्य प्रभावं येनाप्यनुभूतम् ।
अमृत पदमाप्नोति न पश्यति यमदूतम्।।ॐ जय ....
गायति नित्यगोपालः तव ध्यानं कृत्वा।
अहर्निशं सेविष्ये जित्वाऽपि च मृत्वा।।ॐ जय ...